स्वतंत्रता
प्रत्येक लोकतंत्र में स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण अधिकार है स्वतंत्रता कहते हीं अजीब सी ख़ुशी और शांति का एहसास होता है | जो जी में आये सोचो, बोलो और जो सही लगे वही करो क्या यही स्वतंत्रता है क्या सच में स्वतंत्रता की ऐसी होनी चाहिए ? व्यक्ति जैसा चाहें वैसा करने लगें | यदि ऐसा करने की अनुमति दे दी जाए तो बहुत सारे लोग अपनी स्वतंत्रता का आनंद उठाने से वंचित रह जायेंगें |
Q. ' स्वतंत्रता ' शब्द को परिभाषित कीजिये ?
Ans- बिना किसी अन्य की स्वतंत्रता को नुकसान पहुँचाये और बिना कानून व्यवस्था को ठेंस पहुँचाए, प्रत्येक व्यक्ति मुक्त रूप से चिंतन, अभिव्यक्ति और कार्य कर सकता है और अपनी स्वतंत्रता का आनंद उठा सकता है |
Q. स्वतंत्रता का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार कौन सा है ?
Ans- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार |
Q. संविधान में दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किजये ?
Ans- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 - 22 का संबंध स्वतंत्रता के अधिकार से है | धारा 19 में नागरिक स्वतंत्रता उल्लेख किया गया है | मूल रूप से सात स्वतंत्रताएँ भारतीय नागरिकों को प्राप्त थीं लेकिन 44 वें संविधान संशोधन (1978) के द्वारा ' सम्पत्ति के अर्जन सम्बन्धी ' स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया है | अतः अब निम्नलिखित छः स्वतंत्रताएँ भारतीय नागरिकों को प्राप्त है -
1. भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता - सभी नागरिकों को भाषण देने और विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है | वे बोलकर या लिखकर अथवा छपवाकर अपने विचार प्रकट कर सकतें हैं | लोकतंत्र में इस अधिकार का बड़ा महत्व होता है क्योंकि इसके द्वारा जनमत का निर्माण और अभिव्यक्ति हो सकती है | परन्तु राज्य इस अधिकार पर न्यायालय के अपमान, सदाचार और नैतिकता,राज्य की सुरक्षा आदि के आधार पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है |
4. भारत के क्षेत्र में आने-जाने की स्वतंत्रता - सभी नागरिकों को भारत के समस्त क्षेत्र में घूमने-फिरने आने-जाने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है | एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए किसी भी तरह का आज्ञा-पत्र लेने की आवश्यकता नहीं है | नागरिक भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक बिना रोक टोक आ जा सकता है | परन्तु इस स्वतंत्रता पर भी सार्वजानिक शांति, सुरक्षा, व्यवस्था तथा अनुसूचित कबीलों के हितों की दृष्टि से उचित सीमा लगाई सकती है और नागरिकों को घूमने-फिरने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाये जा सकतें हैं |
5. भारत के किसी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतंत्रता - भारत के नागरिकों को भारत के किसी भी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतंत्रता दी गई है | किसी राज्य में जाकर रहने और बसने पर कोई अंकुश नहीं है,भारत का कोई भी नागरिक जहाँ उचित समझे रह सकता है | परन्तु राज्य इस पर भी उचित प्रतिबंध लगा सकती है |
6. कोई भी व्यवसाय या काम धंधा करने की स्वतंत्रता - सरकार किसी नागरिक को कोई कार्य करने या न करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती | अपनी आजीविका कमाने के लिए नागरिकों को कोई भी कार्य व्यवसाय, व्यापार या धंधा करने या न करने की स्वतंत्रता है जिसे वह उचित समझे | इस स्वतंत्रता पर भी उचित प्रतिबंध है | सरकार जनहित में किसी भी व्यापार, काम-धंधे या व्यवसाय पर प्रतिबंध लगा सकती है और अनैतिक व्यापार को रोक सकती है | सरकार किसी व्यवसाय के लिए व्यवसायिक योग्यता भी निश्चित कर सकती है, जैसे कि चिकित्सा, वकालत आदि के लिए योग्यताएं | सरकार कानून द्वारा किसी व्यापार अपने स्वामित्व में में भी ले सकती है |
संविधान की धारा 20, 21, तथा 22 व्यक्तिगत या दैहिक स्वतंत्रता से सबंधित है | निजी स्वतंत्रताएँ उनके व्यक्तिगत जीवन, जैसे- जीवन की स्वतंत्रता, खाने-पीने, पहनने, पारिवारिक जीवन व्यतीत करने आदि, से सम्बन्धित है | इनके बिना व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन सुखी नहीं हो सकता | सभी लोकतान्त्रिक देशों में दैहिक स्वतंत्रता प्रदान की जाती है |
* हम अपने राज्य में किसी दूसरे राज्य के नागरिकों को व्यापार करने से रोक रहे है यहाँ किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है ?
उत्तर - दिये गए उदहारण में निम्न मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है -
1 स्वतंत्रता का अधिकार - भारतीय संविधान के अनुछेद 19 के अनुसार भारतीय संविधान ने भारत के सभी नागरिकों को वृति, उपजीविका, व्यापार,अथवा व्यवसाय की स्वतंत्रता प्रदान की है | यह स्वतंत्रता उनको नहीं दी जा रही है | अतः उनके स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन हुआ है |
2. समानता का अधिकार - दिए गए उदहारण में समानता के अधिकार का भी उल्लंघन हुआ है | अनुच्छेद 14 के अनुसार भारत के राज्य क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति कानून के समक्ष समान समझा जायेगा | अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति या जन्म स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है |
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