शब्दार्थ
सहवर्ती = साथ रहनेवाला, सहगामी, सहचर |
वेत्ता = ज्ञाता, जानने वाला |
जल-वात = जलवायु |
प्रयोजन = उद्देश्य |
संभाषण = भाषण, कथन |
ह्रदयस्थ = ह्रदय में रहनेवाला |
शिरोमणि = श्रेष्ठ |
अशरफुल-मख़लूक़ात = ( संपूर्ण ) विश्व में श्रेष्ठ |
शुकसरिकादि = तोता मैना आदि |
नभचारी = नभचर, आकाश में विचरण करनेवाला, पक्षी |
आदृत = सम्मानित |
बात = वचन, वार्ता, वायु, शरीस्थ वायु |
कुरानआशरीफ = कुरान-शरीफ, अरबी भाषा में लिखित इस्लाम धर्मग्रंथ |
कलामुल्लाह = अल्लाह के वचन |
होली बाइबिल = पवित्र बाइबिल, ईसाइयों का धर्मग्रंथ |
कटिबद्ध = तैयार |
प्रेम-सिद्धांती = प्रेम से ईश्वर-प्राप्ति के सिद्धांत में विश्वास करनेवाला |
निरवयव = बिना अवयवों वाला,निराकार |
अपाणीपादों जवानो गृहीता = हाथ पैर रहित गमन एवं ग्रहण करनेवाला, ईश्वर |
शालिग्राम = जल प्रवाह में घिसी श्यामवर्णी पत्थर की बटिया, जिसे विष्णु मानकर पूजतें हैं |
द्योतन करना = प्रकाशित करना |
गात माँहिं बात करामात है = शरीर में बात का हीं चमत्कार है | अनुत्साह = ( अन + उत्साह ) उत्साहहीनता |
सहजतया = सहज रूप से |
निर्गत = निकली हुई |
मक्खीचूस = कृपण, कंजूस |
क़ुराही = कुमार्गगामी, गलत रस्ते पर चलनेवाल |
अधिपत्य = अधिकार |
साध्य = सिद्ध या प्राप्त किए जाने योग्य |
विज्ञवरों = विद्वानों |
कवीश्वर = ( कवी + ईश्वर ) कवियों में श्रेष्ठ |
सहृदयगण = कोमल चित्त वाले, रसिक |
सत्यसंध = सत्य-प्रतिज्ञ |
स्वार्थान्धता = पूरी तरह अपने हित में लगे रहने का भाव |
सुवक्ता = अच्छा भाषण देने वाला |
पाषाण = पत्थर |
जात्युपकार = ( जाति + उपकार ) जाति की भलाई |
अंगीकार = स्वीकार |
शऊर = ढंग |
विदग्धालाप = (विदग्ध + आलाप ) विद्धतापूर्ण कथन |
बतंगड़ = जरा सी बात को तूल देना, तिल का ताड़ बनाना |
कृति = रचना |
सुरमई रंग = सुरमे जैसा रंग |
पुश्त = पीढ़ी |
फ़रमावदार = आज्ञाकारी |
पाजीपन = बदमाश |
दुरवस्था = बुरी हालत |
सहस्र = हजार |
मुग्ध = मोहित |
गद्गद = आनंदविभोर |
बरबस = जबरदस्ती |
मर्दक = मिटाना |
मिजाज = स्वभाव |
बंगड़ = शरारती |
ब्यालू = रात का भोजन |
वज्रपात = भीषण संकट |
सिवान = गाँव की समवर्ती भूमि |
बाल अरुण = सुबह का सूर्य |
करुणामयी = करुणा से भरी |
दिवाकर = सूर्य | विकलता = व्याकुल |
स्तब्ध = निश्चेष्ट |
निस्सार = सार - हीन |
घिघियाई = गिड़गिड़ाई |
आराध्य = पूज्य |
प्रकृति = स्वभाव |
व्याप्त = प्रभावित |
भुजंग = साँप |
सराहिए = प्रशंसा |
दून = दो गुना |
जरदी = पीलापन |
हरदी = हल्दी |
चून = चूना |
टूटे सुजन = सज्जन व्यक्ति के नाराज होने पर |
पोइए = पिरोइए, पिरोना चाहिए |
मुक्ताहार = ( मुक्त + हार ) मोतियों का हार |
अँसुआ = आँसू |
ढरि = ढुलक कर |
गेह = घर |
भेद = रहस्य |
सगे = संबंधी |
विपति = कसौटी = विपत्ति रुपी कसौटी |
कसौटी = स्वर्ण को परखने का काला पत्थर |
मीनन कौ =मछलियों को |
मीत = मित्र |
मछरी = मछली |
छोह = प्रेम |
दीनहिं = दरिद्र को |
लखै = देखे |
कोय = कोई |
दीनबंधु = भगवान |
पर छबि = पराया सौंदर्य, किसी अन्य की सुंदरता |
पथिक = राही |
आपु = स्वयं ही |
फिरि जाय = लौट जाता है |
धागा = डोर |
मत तोरेऊ चटकाय = तोड़कर मत चटकाओ, तोड़ना चटकाना नहीं चाहिए |
ना जुरै = जुड़ता नहीं है |
जुरै = जुड़ने पर |
तरुवर = श्रेष्ठ, तालाब, सरोवर |
पान = जल |
संचहिं = संचय करता है |
लघु = छोटा |
डारि = डालना, फेंकना |
तरवारि = तलवार |
गोत = ( गोत्र ) कुल |
बड़री = बड़ी |
निरखि = देखकर |
ओछे = नीच, बुरी आदत वाले |
स्वान = ( श्वान ) कुत्ता |
विपरीत = विरुद्ध, हानिकारक |
अवधारणा = सुविचारित धारणा , विचार |
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