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मुक्ति मार्ग के उद्देश्य, मुंशी प्रेमचंद, In Hindi | Mukti Marg, Munshi Premchand


- प्रेमचंद
- मुक्ति-मार्ग
समाज के आधार
- समाज की विशेषताएँ
- मुक्ति-मार्ग के उद्देश्य 



   मुक्ति-मार्ग 

प्रेमचंद 

प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई सन 1880 को वाराणसी जिले के लमही गाँव में हुआ था | उनका वास्तविक नाम धनपतराय था | प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई | मैट्रिक (10 वीं) के बाद उन्होंने पढ़ाना शुरू कर दिया | स्वध्याय के रूप में हीं उन्होंने बी0 ए0 तक शिक्षा ग्रहण की | असहयोग आंदोलन के समय उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और पूर्णतः लेखन-कार्य के प्रति समर्पित हो गये | 

    प्रेमचंद जी ने अपने लेखन का आरम्भ पहले उर्दू में नवाबराय के नाम से किया, इसके बाद हिंदी में लिखने लगे | उन्होंने अपनी कृतियों में किसानो, दलितों, नारियों, के दर्द और वर्ण-व्यवस्था के शोषण का मार्मिक चित्रण किया है  वे साहित्य को स्वांतः सुखाय न मानकर सामाजिक बदलाव का एक मजबूत माध्यम मानते थें | वे एक ऐसे रचनाकार थें, जो समाज के असली स्थिति को धारधार नजर से देखने की शक्ति रखते थें | उन्होंने समाज सुधार और राष्ट्रीय भावना से प्रेरित होकर कई उपन्यासों एवं कहानियों की रचना की | कथा-संगठन, चरित्र-चित्रण कथोपकथन आदि की दृष्टि से उनका साहित्य अतुलनीय है | उनकी भाषा बहुत हीं प्रभावशाली, मुहावरेदार और बोलचाल के समीप है | हिंदी भाषा को विख्यात बनाने में उनका प्रमुख योगदान है | 

    उनकी प्रमुख कृतियाँ :- मानसरोवर (आठ भाग), गुप्तधन (दो भाग), (कहानी संग्रह) ; निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन, गोदान (उपन्यास) ; कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी, (नाटक) ; विविध प्रसंग (तीन खण्डों में, साहित्यिक और राजनीति निबंधों का संग्रह) ; कुछ विचार  (साहित्यिक निबंध)|  उन्होंने माधुरी, हंस, मर्यादा, जागरण आदि पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया | इस पेज में उनकी की रचना 'मुक्ति-मार्ग' के उद्देश्यों को प्रस्तुत किया गया है |

मुक्ति-मार्ग 

लेखक :- मुंशी प्रेमचंद

मै निश्चित तौर पर कह सकता हूँ कि यदि आप कहानी को पूरा पढ़तें हैं तो इसके पात्र इसकी घटनायें आपके ह्रदय को छू जाएँगी | पूरी कहानी अपने स्थितियों, पत्रों, और घटनाओं के माध्यम से समाज के समाजिक सम्बन्धो की एक गतिशील व्यवस्था को दर्शाता है | हम सभी को इस अमूर्त समाज के आधार और विशेषताओं के दर्शन कराता है | 

समाज के आधार

मानव व्यवहार का नियंत्रण - मानव व्यवहार का नियंत्रण सामाजिक आधारों में से एक है यदि मानव व्यवहार पर नियंत्रण न रखा जाए तो समाज में विघटन, विद्रोह, अशांति, अव्यवस्था आदि परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती है |यही कारण है कि प्रत्येक समाज में मानव व्यवहार के नियंत्रणों का अस्तित्व रहता है | नियंत्रणों को न मानाने  पर वैसे दंड या अपमान मिलता है | समाज में औपचारिक (Formal) और अनौपचारिक (Informal) दोनों प्रकार के नियंत्रणों द्वारा व्यवस्था बनाई जाती है | औपचारिक नियंत्रणों में कानून, प्रचार, पुलिस आदि आ जातें हैं और अनौपचारिक के अंतर्गत धर्म, रीती, रिवाज, परम्पराएँ आदि आ जाती है | प्रेमचंद जी की रचना 'मुक्ति-मार्ग' मानव व्यवहार के नियंत्रण का अदभुत चित्रण करती हैं |

समाज की विशेषताएँ

'मुक्ति-मार्ग' की पूरी कहानी अपने स्थितियों, पत्रों, और घटनाओं के माध्यम से समाज के समाजिक सम्बन्धो की एक गतिशील व्यवस्था को दर्शाता है और समाज की कुछ विशेषताओं का अप्रत्यक्ष रूप से वर्णन करता है | 

(क)    समाज अमूर्त है | 

()    समाज में समानता और भिन्नता 

(ग)    समाज में सहयोग और संघर्ष को प्रदर्शित करता है |

(क)    समाज अमूर्त है | ;-    समाज के विभिन्न परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि समाज सामाजिक संबंधों का जाल है | चूँकि सामाजिक सम्बन्धों को न तो मूर्त रूप से देखा जा सकता है और न हाँथ से स्पर्श किया जा सकता है, हम केवल सम्बन्धों के बारे में कल्पना या अनुभव कर सकते हैं | इसलिए समाज अमूर्त है |

()    समाज में समानता और भिन्नता ;- समाज के लिए समानता और भिन्नता दो आवश्यक तत्व हैं निम्न विवेचन से समानता व भिन्नता के तत्वों का स्पष्टीकरण हो जायेगा | 

1. समानता -  समानता को समाज के निर्माण का प्रारंभिक तत्व माना गया है | समाज का निर्माण उन व्यक्तियों के संबंधों द्वारा होता है जो कुछ अवस्थाओं में सामान दृष्टिकोण रखतें हों | समानता की भावना हीं मानवीय गुणों में वृद्धि करती है और व्यक्तियों को संगठित रहकर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है | समानता चाहे शारीरिक हो या मानसिक प्रत्येक स्थिति में एक सीमा तक इस समानता का होना आवश्यक है | 

2. भिन्नता - समाज का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक कि सम्बन्धित व्यक्तियों के गुणों में भिन्नता न हो | लिंग भेद के कारण समाज में प्रजनन की क्रिया संभव हो पति है, योग्यता में भिन्नता होने के कारण व्यक्ति उच्च व निम्न पदों पर कार्य करतें हैं, रुचियों में असमानता होने के कारण नये अविष्कारों का विकास होता रहता है | भिन्न-भिन्न आर्थिक क्रियाओं के द्वारा विकसित अर्थ व्यवस्था का निर्माण होता है | वस्तुतः समानताएँ प्राथमिक हैं और भिन्नताएँ गौण हैं | 

(ग) समाज में सहयोग और संघर्ष को प्रदर्शित करता है | ;- समाज की निर्माण दोनों प्रकार की परिस्थितियों सहयोग और संघर्ष के द्वारा हुआ है | इनको अलग-अलग हीं समझना आवश्यक है | 

1. समाज में सहयोग ;- सामाजिक जीवन सहयोग पर आधारित है | सहयोग दो प्रकार का हो सकता है, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष | प्रत्यक्ष सहयोग का अभिप्राय है आमने-सामने सम्बन्धो द्वारा सहयोग प्रदान करना | क्रिकेट मैच में एक टीम के खिलाड़ी आपस में मिलकर दूसरी टीम पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करतें हैं | यह प्रत्यक्ष सहयोग का उदहारण है | अप्रत्यक्ष सहयोग में उद्देश्य समान रहते हुए भी उसकी प्राप्ति असमान कार्यों द्वारा की जाती है | अप्रत्यक्ष सहयोग का सबसे अच्छा उदहारण 'श्रम-विभाजन' है | वर्तमान समय में अप्रत्यक्ष सहयोग का महत्व बढ़ता जा रहा है |

2. समाज में संघर्ष ;- समाज के इतिहास में संघर्ष की प्रवृत्ति सदैव पाई जाती रही है | संघर्ष को भी दो भागों में बांटा जा सकता है, प्रत्यक्ष संघर्ष और अप्रत्यक्ष संघर्ष | प्रत्यक्ष संघर्ष में व्यक्तिगत रूप से संघर्ष करतें हैं | संसद और विधानसभा में विरोधी पार्टियों के बीच होनेवाला संघर्ष प्रत्यक्ष संघर्ष के उदाहरण हैं | अप्रत्यक्ष संघर्ष में व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के हितों में बाधा डालकर अपने हितों की पूर्ति करने का प्रयास करता है | इसका सामाजिक सम्बन्धों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है |

प्रेमचंद जी की रचना 'मुक्ति-मार्ग' समाज में व्याप्त समानता और भिन्नता तथा सहयोग और संघर्ष का अनूठा  मिश्रण है | 

मुक्ति-मार्ग के उद्देश्य  

प्रेमचंद की रचना मुक्ति-मार्ग का उद्देश्य सामाजिक सम्बन्धों की गतिशील व्यवस्था से अवगत कराते हुए हर व्यक्ति को अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखते हुए उचित व्यवहार करना सिखाना है साथ हीं हम सभी को इस अमूर्त समाज में समानता व भिन्नता तथा सहयोग व संघर्ष में संतुलन बनाते हुए हर स्थिति में सकारात्मकता के साथ जीना सीखना है |    


      














 


          

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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1 टिप्पणियाँ:

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