अध्याय -1 , हमारे आस-पास के पदार्थ
जब हम अपने चारो ओर नजर दौड़ते हैं तो हमें विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ दिखाई देती हैं सभी वस्तुओं का आकार, आकृति तथा बनावट अलग-अलग होती है | इस संसार में प्रत्येक वस्तु जिस समाग्री से निर्मित होती है, उसे वैज्ञानिको ने "पदार्थ" का नाम दिया है |
जिस हवा में हम श्वास लेते हैं, जो भोजन हम खाते हैं, पत्थर, बादल, तारे, पौधे और पशु, यहाँ तक कि पानी की एक बूंद अथवा रेत का एक कण, ये सभी पदार्थ हैं | यहां एक बात ध्यान देने योग्य है, ऊपर लिखी प्रत्येक वस्तु का द्रव्यमान* होता है तथा ये कुछ स्थान (आयतन*) घेरती है |
प्राचीन काल से हीं मनुष्य अपने आस-पास को समझने का प्रयत्न करता रहा है | भारत के प्राचीन दार्शनिकों ने पदार्थ को पांच मूल तत्वों में विभाजित किया, जिसे "पंचतत्व" कहा गया |
ये पंचतत्व हैं :- वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल तथा आकाश |
दार्शनिकों के अनुसार, इन्हीं पंचतत्वों से सभी वस्तुएँ निर्मित हुई है, चाहे वे सजीव हो अथवा निर्जीव | उस समय के यूनानी दार्शनिकों ने भी पदार्थ को इसी प्रकार विभाजित किया है |
आधुनिक वैज्ञानिकों ने पदार्थ को भौतिक गुणधर्म तथा रासायनिक प्रकृति के आधार पर दो प्रकार से विभाजित किया है | इस अध्याय में हम भौतिक गुणों के आधार पर पदार्थ के विषय में अध्ययन करेंगें | पदार्थ के रासायनिक पहलुओं को हम आगे के अध्याय में पढेंगें |
प्रश्न :- द्रव्यमान क्या होता है ?
उत्तर :- द्रव्यमान से हमें किसी वस्तु का वजन तथा गुरुत्वाकर्षण के प्रति आकर्षण या शक्ति का पता चलता है |
प्रश्न :- आयतन क्या होता है |
उत्तर :- सभी पदार्थ एक स्थान (एक त्रि-विमीय स्थान) घेरती है इसी त्रि-विमीय स्थान की मात्रा के माप को आयतन कहते है | एक-विमीय आकृतियाँ (जैसे- रेखा) एवं द्वि-विमीय स्थान (जैसे-त्रिभुज, चतुर्भुज, वर्ग आदि) का आयतन शून्य होता है |
प्रश्न :-पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर :- हमारे आस-पास भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुएँ दिखाई देती है | इन वस्तुओं के आकर, आकृति तथा बनावट अलग-अलग होती है | इस संसार में प्रत्येक वस्तु जिस समग्री से निर्मित होती है उसे वैज्ञानिकों ने पदार्थ के नाम दिया है |
प्रश्न :- दार्शनिक किसे कहते हैं ?
उत्तर :- "दार्शनिक" शब्द दर्शनशास्त्र से जुड़ा शब्द है | दर्शनशास्त्र, वह ज्ञान है जो परम सत्य और सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है | दर्शनशास्त्र वास्तविकता की परख के लिए एक दृष्टिकोण है | दार्शनिक चिंतन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है | वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमो का विज्ञान है | दर्शनशास्त्र के ज्ञाता को दार्शनिक कहा जाता है |
प्रश्न :- पंचतत्व क्या है ?
उत्तर :- भारत के प्राचीन दार्शनिकों ने पदार्थ को पांच भागो में विभाजित किया, इन्हीं पांचो भागो को पंचतत्व कहते हैं |
वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश |
1.1 पदार्थ का भौतिक स्वरूप
(Physical Nature of matter)
(1.1.1) पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है
काफी समय तक पदार्थ की प्रकृति के बारे में दो प्रकार की विचारधाराएँ प्रचलित थी | पहली विचारधारा के अनुसार पदार्थ लकड़ी के टुकड़े की तरह सतत होते हैं, लेकिन दूसरी विचाधारा यह थी कि रेत की तरह कणों से मिलकर बने हैं | पदार्थ सतत है या कणों से निर्मित है | यहाँ हमलोगों को इस विचार को स्वीकारना होगा कि सभी पदार्थ कणों से बने होतें हैं | उदाहरण के लिए एक क्रियाकलाप करके देखते हैं |
क्रियाकलाप (Activity)
* एक 100 ML का बीकर लें | इस बीकर को जल से आधा भरकर जल के स्तर पर चिन्ह लगा दें |
* अब थोड़ा नमक अथवा शर्कर लें और काँच की छड़ की सहायता से जल में घोल दें |
* जल के स्तर में आये परिवर्तन पर ध्यान दें |
* आपके अनुसार नमक अथवा शर्कर का क्या हुआ ?
* ये कहाँ लुप्त हो गए ?
* क्या जल के स्तर में किसी प्रकार का परिवर्तन आया ?
जब जल में नमक घोला जाता है, तो नमक के कण जल के कणों के बीच के रिक्त स्थानों में समावेशित हो जाते हैं और पानी में छिप जाते हैं और इस प्रकार पानी में मौजूद होते हुए भी दिखाई नहीं देते |
बीकर का जल स्तर नमक के मौजूदगी के कारण बढ़ जाता है |
सम्बन्धित सवाल कमेंट कर पूछ सकतें हैं |
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