Magic Point

हमें संविधान की क्या आवश्यकता है ? | What do we need for constitution in hindi

संविधान क्यों और कैसे ?
Chapter -1

(क) हम सभी को संविधान की क्या आवश्यकता है ?

(ख) संविधान तालमेल बढ़ता है

(ग) निर्णयलेने की शक्तियों की विशिष्टताएँ

(घ) सरकार की शक्तियों पर सीमाएँ 



 

परिचय 
    इस पेज में संविधान की कार्यप्रणाली के विषय में बताया गया है | आगे आने वाले पेजों में आप संविधान की कार्यप्रणाली के विभिन्न पहलुओं के विषय में पढ़ेंगे | इनमें आप हमारे देश के सरकार की विभिन्न संस्थाओं तथा उनके बीच के संबंधों के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे |

  परन्तु इसके पहले की आप चुनाव, सरकार, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के विषय में जानकारी हासिल करें | इससे पहले ये समझना आवश्यक है की सरकार के पुरे ढाँचे और सरकार की संस्थाओं को नियंत्रित करनेवाले विभिन्न सिद्धांतों की उत्पत्ति भारत के संविधान से हुई है |
 
    इस पेज को पढ़ने के बाद आपको निम्नलिखित बातों की जानकारी प्राप्त होगी :-

*   संविधान किसे कहते हैं ; 
*   संविधान समाज को क्या देता है ;
*   संविधान समाज में शक्ति का बॅटवारा किस प्रकार करता है ;
*   भारत का संविधान कैसे बनाया गया ;

हमें संविधान की क्या आवशयकता है ?

संविधान क्या है ? इसके क्या कार्य हैं ? समाज के लिए इसका क्या महत्व है ? हमारे दैनिक जीवन से इसका क्या सम्बन्ध है ? इन सारे प्रश्नो के उत्तर उतने कठिन नहीं हैं जितना कि आप सोचते हैं |

संविधान तालमेल बढ़ता है 

कल्पना करें कि आप एक बड़े समूह के सदस्य हैं | यह भी कल्पना करें उस समूह की कुछ विशेषताएं हैं जैसे, उस समूह के सदस्य एक दूसरे से कई प्रकार से भिन्न - भिन्न है |  उनकी भिन्न - भिन्न धार्मिक निष्ठाएँ हैं , उनमे कुछ हिन्दू हैं तो कुछ मुस्लमान, कुछ सिक्ख है तो कुछ ईसाई है और कुछ ऐसे भी हैं जो किसी धर्म को नहीं मानते | ये अन्य आधारों पर भी भिन्न हैं - उनकी योग्यताएँ, व्यवसाय और शौक सभी भिन्न हैं | सिनेमा से लेकर किताबों तक सब की पसंद अलग-अलग है | उनमें कुछ धनि हैं तो कुछ गरीब | कुछ लोग बूढ़े हैं तो कुछ जवान | अब कल्पना करें कि  ऐसे समूह के सदस्यों में जीवन के विभन्न पहलुओं से जुड़े प्रश्नों को लेकर मतभेद है, जैसे -समूह में किसी भी व्यक्ति को कितनी सम्पति रखने का अधिकार होना चाहिए ? क्या सभी बच्चो को स्कूल भेजना अनिवार्य है या यह फैसला माता पिता के ऊपर छोड़ देना चाहिए | अपनी सुरक्षा के लिए इस समूह को कितना खर्च करना चाहिए ? या इसके जगह इस समूह को बहुत सारे पार्क बनवा लेने  चाहिए? क्या इस समूह को अपने हीं कुछ सदस्यों के साथ भेद-भाव करने देना चाहिए? स्वभाविक है की भिन्न-भिन्न लोग इसमें से प्रत्येक प्रश्न का अलग-अलग उत्तर देंगे | परन्तु अपनी भिन्नताओं के बावजूद भी इस समूह के सदस्यो को एक साथ रहना है | समूह के सदस्य अनेक रूपों में एक दूसरे पर आश्रित हैं | इस समूह के सदस्यों को शांतिपूर्वक एक साथ रहने के लिए क्या करना चाहिए ?

    इस समूह के सदस्य एक साथ शांतिपूर्वक रह सकते हैं यदि वे कुछ आधारभूत नियमो के बारे में सहमत हो जाएँ और इसका पालन करें | प्रश्न उठता है कि इस समूह को ऐसे नियम क्यों चाहिए और ऐसे बुनियादी नियमों के आभाव में क्या होगा ?

इन बुनियादी नियमों की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे नियम नहीं होंगे तो प्रत्येक सदस्य अपने आप को असुरक्षित महसूस करेगा | यदि समूह के सदस्यों को यह मालूम न हो की एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करना है, किसका किस वस्तु पर अधिकार है तो इस समूह के सदस्य एक साथ शांतिपूर्वक नहीं रह पाएंगें | 

यही कारण है कि किसी भी समूह को सार्वजानिक रूप से मान्यता प्राप्त कुछ आधारभूत नियमों की आवश्यकता होती है जिसकी जानकारी समूह के सभी सदस्यों को होनी चाहिए ताकि आपस में एक न्युनतम समन्वय बना रहे | परन्तु केवल इन नियमों की जानकारी हीं नहीं होनी चाहिए वरन इन्हें लागू भी किया जाना चाहिए | यदि लोगों को विश्वास न हो कि दूसरे भी इनका पालन करेंगे तो उनके पास भी इन नियमों के पालन करने का कोई आधार नहीं होगा  परन्तु जब कहा जाता है कि इन नियमों को न्यायालय में लागु किया जायेगा, तो सभी को विश्वास हो जाता है कि उनके आलावा अन्य लोग भी इन नियमों का पालन करेंगे क्योंकि यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो दंड दिया जायेगा | 

    संविधान का पहला कार्य यह है कि वह समाज को बुनियादी नियमों का ऐसा समूह उपलब्ध कराये जिससे समूह के सदस्यों में एक न्यूनतम समन्वय और विश्वास बना रहे |

निर्णय लेने की शक्ति की विशिष्टताएं

    संविधान कुछ ऐसे बुनियादी नियमों का समूह है जिसके आधार पर राज्य का निर्माण और शासन होता है |  परन्तु प्रश्न उठता है कि ये बुनियादी नियम हैं क्या ? तथा ऐसी कौन सी बात है जो इन्हे " बुनियादी " बनती है ? सर्वप्रथम आपको यह तय करना पड़ेगा कि जिन नियमों के आधार पर समाज का शासन होता है उन्हें बनाएगा कौन ? आप "क" नियम बनाना चाहते हैं लेकिन दूसरे लोगों की इच्छा "ख" नियम बनाने की है | फिर यह कैसे निर्णय किया जाए किसकी इच्छावाले नियमों से शासन किया जाए ? हो सकता है जिन नियमों के अंतर्गत आप सबको रखना चाहते हैं वो आपको सर्वश्रेष्ट लगते हैं परन्तु दूसरे लोगो को उनके द्वारा सुझाये गए नियम सर्वश्रेष्ट लगते हैं | इस विवाद को कैसे सुलझाया जाये ? अतः यह निर्णय करने से पहले कि किन नियमो से हमारे समूह का शासन हो हमे यह निश्चित करना पड़ेगा कि उन नियमों को कौन बनाएगा ?

    संविधान में इस प्रश्न का भी उत्तर है | हमारा संविधान समाज में शक्ति के मूल वितरण को स्पष्ट करता है | संविधान यह निश्चित करता है कि कानून कौन बनाएगा ? सैद्धांतिक रूप में, इस प्रश्न का उत्तर, कई प्रकार से दिया जा सकता है | राजतंत्र में कानून का निर्माण राजा करता है | कुछ संविधान जैसे पुराने सोवियत संघ के संविधान में निर्णय करने का अधिकार केवल एक पार्टी को दिया गया था | लेकिन लोकतांत्रिक संविधानो में निर्णय मोटे तौर पर जनता द्वारा लिया जाता है | लेकिन यह विषय इतना आसान नहीं है | यदि हम यह मान भी लें कि जनता निर्णय लेती है, तब भी प्रश्न यह उठता है जनता निर्णय कैसे लेती है ? क्या किसी कानून को बनाने के लिए सभी लोगों का सहमत होना आवश्यक है ? प्राचीन यूनान के पद्धति के अनुसार, क्या प्रत्येक मुद्दे पर सभी लोगों को वोट देना चाहिए ? अथवा लोगों को अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए ? यदि लोगों को अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से काम करना हो, तो फिर उन प्रतिनिधियों का चयन किस प्रकार हो, और कुल कितने प्रतिनिधि का चयन हो ?

    उदाहरण के लिए, भारतीय संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि अधिकतर कानून का निर्माण संसद करेगी, और इस संसद का गठन भी एक विशेष प्रकार से किया जायेगा | किस समाज में कानून कैसा है -इसे  देखने से पहले उन कानूनों को बनाने का अधिकार रखने वालों को पहचानना होगा | यदि कानून बनाने का अधिकार संसद को है, तो पहले संसद को यह अधिकार देनेवाला कोई कानून होना चाहिए |  यह काम संविधान करता है | संविधान वह सत्ता है जो, सर्वप्रथम सर्कार बनती है |

    संविधान का दूसरा कार्य यह स्पष्ट करना है कि समाज में निर्णय लेने का अधिकार किसके पास होगा | संविधान यह भी निश्चित करता है कि सरकार का निर्माण किस प्रकार होगा |

सरकार की शक्तियों पर सीमाएँ 

मान लीजिये कि आपने यह निश्चित कर लिया की निर्णय कौन करेगा | परन्तु, जब उस सत्ता ने कानून बनाया तब आपने महसूस किया कि वह कानून पूर्णतः अनुचित है | उदाहरण के लिए उसने आपको अपने धर्म का पालन करने पर प्रतिबंध लगा दिया अथवा फिर उसने निर्णय लिया कि आप किसी खास किस्म के रंग वाले वस्त्र नहीं पहन सकते या आपको कुछ विशेष गीत गाने की स्वतंत्रता नहीं है या कुछ विशेष समूह ( धर्म / जाती ) के लोगों को हमेशा दूसरों की सेवा करनी पड़ेगी तथा उन्हें किसी प्रकार की सम्पति रखने का अधिकार भी नहीं होगा | सरकार किसी भी व्यक्ति को मनमाने तरीके से गिरफ्तार कर सकती है अथवा किसी खास रंग वाले लोगो को कुँए से पानी भरने की अनुमति नहीं होगी, स्वभाविक है कि ये सारे कानून आपको अनुचित और अन्याय पूर्ण लगेंगें | जबकि ये सभी कानून उस सरकार के द्वारा बनाये गए जिसका निर्माण एक विशेष प्रक्रिया का पालन करके हुआ था परन्तु सर्कार द्वारा ऐसे कानून का निर्माण करने के पीछे अवश्य कोई अन्यायपूर्ण बात रही होगी | 

अतः संविधान का तीसरा कार्य सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागु किये जानेवाले कानूनों की कोई सीमा तय करना है | ये सीमाएँ इस रूप में मौलिक होतीं हैं कि सरकार कभी भी उनका उल्लंघन  नहीं कर सकती |

संविधान सरकार की शक्तियों को विभिन्न प्रकार से सिमित करता है | सरकार की शक्तियों को सिमित करने का सबसे आसान तरीका यह है कि नागरिक के रूप में हमारे मौलिक अधिकारों को स्पष्ट कर दिया जाए ताकि कोई भी सरकार कभी भी उनका उल्लंघन न कर सके | भिन्न भिन्न संविधानों में मौलिक अधिकारों का वास्तविक स्वरूप और व्याख्याएँ बदलती रहती है | परन्तु अधिकतर कुछ विशेष मौलिक अधिकार संविधानों में हमेशा पाए जाते हैं | नागरिकों को मनमाने तरीक़े से बिना किसी कारण के गिरफ्तार करने के विरुद्ध सुरक्षा प्राप्त है | यह सरकार की शक्तियों के ऊपर एक आधारभूत सीमा है | सामान्य रूप में नागरिकों को कुछ मौलिक स्वतंत्रताओं का अधिकार प्राप्त है जैसे भाषण की स्वतंत्रता, अंतरात्मा की आवाज पर काम करने की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता आदि | व्यवहार में, इन मौलिक अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल में सिमित किया जा सकता है तथा संविधान उन परिस्थितियों का उल्लेख करता है जिनमें इन अधिकारों को वापस लिया जा सकता है | 

    सम्बंधित सवाल आप कॉमेंट कर पूछ सकते हैं | 
      


   

               
      
   

 

 


SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

Thanku For comment