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संविधान की सत्ता | Constitution Power in hindi

 संविधान क्यों और कैसे ?

Chapter -1

(च) समाज की आकांक्षाएँ और लक्ष्य 

(छ) राष्ट्र की बुनियादी पहचान 

(ज) संविधान की सत्ता 


    समाज की आकांक्षाएँ और लक्ष्य 


यदि हम पुराने संविधानो को पढ़ें तो देखेंगें कि अधिकतर पुराने संविधानों में केवल निर्णय लेने की शक्ति का वितरण और सरकार की शक्ति पर प्रतिबंध लगाने का कार्य किया गया था | परन्तु बीसवीं शताब्दी के अनेक संविधान - जिसमे भारतीय संविधान भी शामिल है, राष्ट्र को एक ऐसा मजबूत ढांचा प्रदान करती है जिससे सरकार  कुछ सकारात्मक कार्य कर सके और समाज की आकाँक्षाओं और उसके लक्ष्य को अभिव्यक्ति दे सके | इस सम्बन्ध में भारतीय संविधान ने कुछ नए प्रयोग किये | भारतीय समाज में जहाँ नाना प्रकार की असमानताओं की गहरी खाइयाँ हैं, वहाँ केवल सरकार की शक्तियों पर प्रतिबन्ध लगाना हीं प्रयाप्त नहीं, बल्कि वहाँ सरकार को समर्थ और शक्तिशाली बनाना भी आवश्यक है | जिससे वह असमानता और गरीबी के विभिन्न रूपों से निपट सके | 

उदाहरण के लिए भारत की आकांक्षा है कि हम एक ऐसा समाज बनाएँ जिसमे जातिगत भेद-भाव न हो | यदि यह हमारे देश की आकांक्षा है,तो हमे अपनी सरकार को इतना समर्थ और शक्तिशाली बनाना होगा कि वह इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा सके | दक्षिण अफ्रीका नस्ली भेदभाव के प्राचीन इतिहास का उदाहरण है | परन्तु इस देश के नए संविधान ने सरकार को इतना समर्थ बनाया कि वह नस्ली भेदभाव को मिटा सके | वास्तव में एक संविधान अपने समाज की आकांक्षाओं का पिटारा है | उदाहरण के लिए हमारे देश में संविधान निर्माताओं की इच्छा थी कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आधारभूत भौतिक चीजें और शिक्षा सहित वह सबकुछ प्राप्त हो सके जिसके आधार पर वह गरिमा और सामाजिक आत्मसम्मान से भरा हुआ जीवन व्यतीत कर सके | भारतीय संविधान सरकार को वह शक्ति प्रदान करता है जिससे सरकार कुछ सकारात्मक लोक-कल्याणकरी कदम उठा सके और जिन्हे कानून की सहायता से लागु भी किया जा सके | जैसे-जैसे हम भारतीय संविधान के बारे में पढ़ते हैं,हमे ज्ञात होता है कि  ऐसी शक्ति प्रदान करने वाले प्रावधानों को हमारे संविधान की प्रस्तावना का समर्थन प्राप्त है और ये संविधान के मौलिक अधिकारों वाले भाग में पाए जाते हैं | 

संविधान का चौथा कार्य सरकार को ऐसी क्षमता प्रदान करना है जिससे वह जनता की आकाँक्षाओं को पूरा कर सके और एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए उचित परिस्थितियों का निर्माण कर सके |   

संविधान को समर्थ बनाने वाले प्रावधान   

संविधान केवल सरकार की शक्तियों को नियंत्रित करने वाले नियमों और कानूनों का हीं नाम नहीं है | बल्कि यह सरकार  को ऐसी शक्तियां भी प्रदान करता है जिससे वह समाज की सामूहिक भलाई के लिए काम कर सके | 

*  दक्षिण अफ्रीका का संविधान सरकार  को विभिन्न उत्तरदायित्व सौंपता है | वह सरकार को पर्यावरण संरक्षण     को बढ़ावा देने और अन्यायपूर्ण भेदभाव से व्यक्तियों और समूहों की रक्षा का प्रयास करने के लिए कदम             उठाने का अधिकार प्रदान करता है और यह प्रावधान भी करता है कि सरकार धीरे धीरे सभी के लिए पर्याप्त         आवास और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराये | 

*  इंडोनेशिया में सरकार का उत्तरदायित्व है कि वह राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था बनाए और उसका संचालन करे |            इंडोनेशिया का संविधान यह भी सुनिश्चित करता है कि सरकार गरीब तथा अनाथ बच्चो की देखभाल करेगी |

राष्ट्र की बुनियादी पहचान

अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संविधान किसी समाज की सबसे बुनियादी पहचान होता है | 
    इसका तात्पर्य यह है कि संविधान के माध्यम से ही किसी समाज की एक सामूहिक इकाई के रूप में पहचान होती है |  इस सामूहिक पहचान को बनाने के लिए हमे इस संबंध में कुछ बुनियादी नियमो पर सहमत होना पड़ता है कि जैसे-हम पर शासन किस प्रकार होगा और शासितों में कौन-कौन से लोग शामिल होंगे | संविधान बनने के पहले हमारी विभिन्न प्रकार की पहचान या अस्मिताएँ होती हैं | परन्तु कुछ आधारभूत नियमो और सिद्धांतों पर सहमत होकर हम अपनी मूलभूत राजनीतिक पहचान बनाते हैं | दूसरा, संवैधानिक नियम हमे एक ऐसा विशाल ढांचा प्रदान करते हैं जिसके अंतर्गत हम अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाओं, लक्ष्य और स्वतंत्रताओं का प्रयोग करतें हैं | संविधान आधिकारिक बंधन लगा कर यह निश्चित कर देता है कि कोई क्या कर सकता है और कोई क्या नहीं कर सकता | अतः संविधान हमे एक नैतिक पहचान भी देता है | तीसरा और अंतिम, अब शायद यह संभव हो सका है कि अनेक बुनियादी राजनीतिक और नैतिक नियम विश्व के सभी प्रकार के संविधानो में स्वीकार किये गए हैं | 

    यदि हम सम्पूर्ण विश्व के संविधानों पर नज़र डालें तो हमे सरकारों के विभिन्न स्वरुप और भिन्न-भिन्न प्रकार की प्रक्रियाएँ दिखाई देंगी | परन्तु उनमें काफी कुछ समानताएँ भी हैं | अधिकतर संविधान कुछ मूलभूत अधिकारों की रक्षा करतें हैं और ऐसी सरकारें बनाने की कोशिश करते हैं | जो किसी न किसी रूप में लोकतांत्रिक होती है | परन्तु राष्ट्रीय पहचान की अवधारणा भिन्न-भिन्न संविधानों में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है | अधिकतर राष्ट्र विभिन्न जटिल ऐतिहासिक परम्पराओं के मेल से बनते हैं | ये किसी राष्ट्र में रहनेवाले विभिन्न समूहों को कई प्रकार से आपस में मिला लेते हैं , उदाहरण के लिए जर्मनी का निर्माण 'जर्मन नस्ल' के आधार पर हुआ | संविधान ने इस पहचान को अभिव्यक्ति दी | दूसरी ओर भारत का संविधान नागरिकता के आधार के रूप में जातीयता या नस्ल को मान्यता प्रदान नहीं करता | विभिन्न राष्ट्र में देश की केंद्रीय सरकार तथा विभिन्न क्षेत्रों के बीच के आपसी संबंधों को लेकर भी भिन्न-भिन्न अवधारणाएँ होती हैं | केंद्र और राज्य के बीच का यह सम्बन्ध उस देश की राष्ट्रीय पहचान बनाता है | 

संविधान की सत्ता  

हमने संविधान द्वारा किये जानेवाले कुछ कार्यो का उल्लेख किया है | इन कार्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि अधिकतर समाजों में एक संविधान क्यों होता है | परन्तु संविधान के विषय में हम  तीन और प्रश्न कर सकते हैं :

(क)    संविधान क्या है ?

(ख)    संविधान कितना प्रभावी है ?

(ग)    क्या संविधान न्यायपूर्ण है ?

अधिकतर देशों में 'संविधान' एक लिखित दस्तावेज के रूप में होता है जिसमे राज्य के बारे में कई प्रावधान होते हैं | ये प्रावधान यह बताते हैं कि राज्य का गठन किस प्रकार होगा और वह किन सिद्धांतों का पालन करेगा | जब हम किसी देश के संविधान की बात करते हैं तो सामान्य रूप से हम इसी दस्तावेज का जिक्र कर रहे होते हैं |  परन्तु कुछ देशों, उदाहरण के लिए इंग्लैंड के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जिसे संविधान कहा जा सके | उनके पास दस्तावेजों और निर्णयों की एक लम्बी श्रृंखला है जिसे सामूहिक रूप से संविधान कहा जाता है | इस प्रकार हम कह सकते हैं कि संविधान दस्तावेज या दस्तावेजों की वह पूंज है जो उन कार्यो को करने का प्रयास करता है जिसका ऊपर उल्लेख किया गया है | 
    परन्तु विश्व में अनेक संविधान केवल कागजों पर हीं होते हैं | वे केवल कागजी शब्द होते हैं व्यवहार मे नहीं होते | अतः महत्वपूर्ण सवाल यह है कि कोई संविधान कितना प्रभावी है ? कौन सी बात किसी देश के संविधान को प्रभावी बनती है ? कौन सी बात यह सुनिश्चित करती है कि लोगो के जीवन पर वास्तव में उसका प्रभाव पड़ा है ? संविधान का प्रभावी होना अनेक बातों पर निर्भर करता है |

    सम्बंधित सवाल आप कॉमेंट कर पूछ सकते हैं |           


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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